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|ptext=[[https://www.translatum.gr/images/pape/pape-02-1362.png Seite 1362]] ἡ, eine kleine Meermuschel, deren sich in Athen die Richter beim Abstimmen bedienten, vielleicht die Porzellanschnecke, Ar. Equ. 1332 Vesp. 333. 349; vgl. Poll. 8, 16. – Bei Ath. XIV, 647 b sind χοιρίναι eine Art Kuchen; nach Mein. frg. com. III, 641 von ὁ χοιρίνης, sc. [[πλακοῦς]]. | |ptext=[[https://www.translatum.gr/images/pape/pape-02-1362.png Seite 1362]] ἡ, eine kleine Meermuschel, deren sich in Athen die Richter beim Abstimmen bedienten, vielleicht die Porzellanschnecke, Ar. Equ. 1332 Vesp. 333. 349; vgl. Poll. 8, 16. – Bei Ath. XIV, 647 b sind χοιρίναι eine Art Kuchen; nach Mein. frg. com. III, 641 von ὁ χοιρίνης, sc. [[πλακοῦς]]. | ||
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|lstext='''χοιρίνη''': ἡ, [[εἶδος]] μικρᾶς θαλασσίας κόγχης ἣν οἱ Ἀθηναῖοι δικασταὶ μετεχειρίζοντο ὡς ψῆφον, (καλουμένη ἔτι καὶ νῦν γουρουνάκι, ἐκ τοῦ γουροῦνι, ὃ ἐστι [[χοῖρος]], Σημ. Κοραῆ εἰς Ξενοκρ. 129), Ἀριστοφ. Ἱππ. 1332, πρβλ. Σφ. 333, 349. - Ὁ Σουΐδ. [[ἡμαρτημένως]] ἑρμηνεύει τὴν λέξ. ὡς σημαίνουσαν χοίρου [[τρίχα]]. [ῑ, [[ἐντεῦθεν]] ὁ πληθ. χοιρῖναι, Δινδ. εἰς [[Πολυδ]]. Η΄, 16.] | |||
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