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{{pape
|ptext=τι, [[enklitisch]], wie in allen [[Casus]]; gen. τινός, bei Hom. [[stets]] [[τευ]], att. [[του]]; – dat. τινί; Hom. τῳ und [[τεῳ]], att. auch τῳ; – vom plur. hat Hom. nur den acc. τινάς, <i>Il</i>. 15.735, <i>Od</i>. 11.371; – unbestimmtes [[Pronomen]], dem vorigen [[Fragewort]] [[entsprechend]]:<br><b class="num">1</b> <i>[[Einer]], eingewisser, [[Jemand]], [[Etwas]]</i>, oft im Deutschen durch den unbestimmten [[Artikel]] ein [[wiederzugeben]]; Hom. und Folgde [[überall]]; von einer nicht [[näher]] bekannten, unbedeutenden [[Person]] oder [[Sache]], die man nicht [[näher]] [[angeben]] kann oder will, [[sowohl]] [[alleinstehend]], als bei einem subst., dem es in [[Prosa]] [[wenigstens]] [[gewöhnlich]] nachsteht; ἠέτῳ [[εὖχος]] ὀρέξομεν, ἠέ τις [[ἡμῖν]], <i>Il</i>. 12.328; ὡς [[ὅτε]] τις [[δρῦς]] ἤριπεν, 13.389; ἑστήκει, ὡς τίς τε [[λέων]], 17.133; τὶς [[νῆσος]], <i>Od</i>. 7.244; τὶς [[ποταμός]], <i>Il</i>. 11.722; [[οὔτε]] τις [[ἄγγελος]] [[οὔτε]] τις [[ἱππεύς]], Aesch. <i>Pers</i>. 14, und [[sonst]] bei Tragg., wie in [[Prosa]] [[überall]]. Auch steht das nomen [[häufig]] im gen. [[dabei]], τὶς [[θεῶν]], <i>Il</i>. 15.290, [[θεῶν]] τις, Aesch. <i>Eum</i>. 70; καί τις Ἑλλήνων ἐρεῖ, 726, und [[sonst]], nach Elmsl. zu Eur. <i>Med</i>. 241 und Soph. <i>Aj</i>. 998 bei den Tragg. viel [[üblicher]] als [[θεός]] τις. Her. setzt es dann oft [[zwischen]] [[Artikel]] und subst., τῶν τις ἱερέων, τῶν τις Περσέων und ä., 1.85, 8.90 und [[sonst]]; was Sp. [[nachahmen]], Ath. III.108d, Alciphr. 3.20, Luc. <i>Nigr</i>. 38.<br>Bei Adjektiven dient es nicht bloß als unbestimmter [[Artikel]], so daß das [[Adjektiv]] [[substantivisch]] zu [[fassen]] ist, [[sondern]] es gibt [[ihnen]] auch [[zuweilen]] eine gewisse [[Beschränkung]], etwas, [[einigermaßen]], [[ziemlich]], oft ins Ironische [[übergehend]], so daß [[damit]] [[ausgedrückt]] wird, das [[Substantivum]] habe nicht [[gerade]] die im [[Adjektiv]] ausgedrückte [[Eigenschaft]], [[sondern]] nur eine [[Ähnlichkeit]] [[damit]]; dies tritt [[weniger]] in den homerischen Beispielen [[hervor]], ὥς τις [[θαρσαλέος]] καὶ [[ἀναιδής]] ἐσσι [[προΐκτης]] <i>Od</i>. 17.449, ὥς τις [[πάμπαν]] [[ὀϊζυρός]], wie ein ganz [[Unglücklicher]], 20.140; <i>Il</i>. 3.220, <i>Od</i>. 18.382; eher noch in ὅσος τις, [[wieviel]] wohl, 10.45; [[πᾶς]] τις, ἕκαστός τις, 9.65; πολλὸς γάρ τις ἔκειτο, <i>Il</i>. 7.156; Pind. [[πᾶς]] τις, <i>I</i>. 1.49, wie Soph. <i>O.C</i>. 25 und A.; vgl. Elmsl. Eur. <i>Med</i>. 548 und die [[Erklärer]] zu Greg.Cor. p. 7, 8; [[πᾶς]] τις [[ἄνθρωπος]], Xen. <i>Cyr</i>. 7.2.21; πόσον τι [[πλῆθος]] ἦν, Aesch. <i>Pers</i>. 226; οὐ πολλοί τινες, <i>Prom</i>. 502; [[πᾶς]] τις, <i>ein [[jeder]]</i>, [[ἕτοιμος]], <i>Ag</i>. 265, und oft; so bes. ἦ [[μεγασθενής]] τις εἶ <i>Spt</i>. 977, [[φρενομανής]] τις εἶ <i>Ag</i>. 1111, <i>du bist ein Sinnverwirrter</i>; πολὺ γάρ τι κακῶν ὑπερεκτήσω, Soph. <i>El</i>. 210; auch [[εἷς]] τις, <i>O.R</i>. 118, wie λέγει τις [[εἷς]], <i>Ant</i>. 269; vgl. Plat. <i>Ion</i> 531d; φιλότεκνός τις εἶ, Ar. <i>Th</i>. 752; ὀλίγοι τινές, <i>[[einige]] [[wenige]]</i>, Xen. <i>Cyr</i>. 5.4.25 und [[öfter]]; [[μικρός]] τις, <i>nur sehr [[klein]]</i>, 1.6.14, vgl. <i>An</i>. 4.1.10; ὁποῖός τις, 2.2.2; [[πόσος]] τις, 2.4.21; τοιοῦτός τις, 5.8.7; ἐγώ τις, ὡς ἔοικε, [[δυσμαθής]], <i>ich bin ein etwas [[schwer]] [[Lernender]]</i>, Plat. <i>Rep</i>. VI.358d; δύσβατός τις ὁ [[τόπος]] φαίνεται καὶ [[κατάσκιος]], IV.432c; ἐγὼ [[τυγχάνω]] [[ἐπιλήσμων]] τις ὢν [[ἄνθρωπος]], <i>Prot</i>. 334c; [[εἰμί]] τις [[γελοῖος]] [[ἰατρός]], 340d; κινδυνεύουσι οὐ φαῦλοί τινες [[εἶναι]], <i>Phaed</i>. 69c; [[τεῖχος]] οὐ πολλῷ [[τεῳ]] ἀσθενέστερον, Her. 1.181; οὐ πολλῷ τινι ὑποδεέστερον, Thuc. 6.1; und so bes. bei Adjektiven, die eine [[Menge]] oder [[Größe]] [[ausdrücken]], [[πολύς]] τις, Her. 5.48 und ä.; auch bei Zahlwörtern, ἐς διακοσίους τινὰς αὐτῶν ἀπέκτειναν, Thuc. 3.111; ἡμέρας ἑβδομήκοντά τινας [[οὕτω]] διῃτήθησαν ἀθρόοι, 7.87, [[ungefähr]]. In derselben Bdtg wird τί mit Adjekt. und Verbis [[verbunden]] (s. [[unter]] 4). – Auch nach Relativis, οἷός τις, <i>was für einer, Il</i>. 5.638, <i>Od</i>. 20.377 und [[sonst]]; ὅστις s. [[oben]] [[besonders]] [[aufgeführt]].<br><b class="num">2</b> wie [[εἴ τις]], <i>si quis</i>, für ὅστις [[gebraucht]] wird, eine unbestimmte [[Allgemeinheit]] [[auszudrücken]], so dient<br><b class="num">a</b> τις auch [[allein]] dazu, ein unbestimmtes od. [[mehrfach]] bestimmbares [[Einzelnes]] aus einer größern [[Mehrheit]] hervorzuheben, wie [[unser]] <i>[[mancher]], [[manch]] einer</i>, das lat. <i>aliquis</i>, [[ἄλκιμος]] ἔσσ', ἵνα τίς σε καὶ ὀψιγόνων εὖ εἴπῃ, <i>Od</i>. 1.302; καὶ [[παῖς]], οἷόν [[πού]] τις ἐέλδεται [[ἔμμεναι]] [[υἷα]], 20.35; vgl. <i>Il</i>. 6.479, 2.201, und [[sonst]]; auch mit [[ironischer]] [[Wendung]], τῷ κέν τις κείνων γε καὶ [[ἐκλελάθοιτο]] γάμοιο, <i>Od</i>. 3.224, <i>Il</i>. 13.638; τὶς [[ἄλλος]], [[mancher]] [[andere]], 8.515, 16.225; und oft [[ὧδε]] δέ τις εἴπεσκε, so sprach [[mancher]]. So auch Tragg. und in [[Prosa]]: τάχ' ἄν τις εἴποι, Aesch. <i>Spt</i>. 896, und oft in ähnlicher [[Verbindung]]; ἢν κρατήσωμεν νῦν ταῖς ναυσίν, ἐστί τῳ τὴν ὑπάρχουσάν που οἰκείαν πόλιν [[ἐπιδεῖν]], Thuc. 7.61; und bes. beim imperat., Eur. <i>Rhes</i>. 687, <i>[[Bacch]]</i>. 346 und A. (s. b); – [[deshalb]] wird es auch als Collektiv mit dem [[Plural]] [[verbunden]], τῷ κέ [[τεῳ]] στύξαιμι [[μένος]] καὶ χεῖρας ἀάπτους, οἳ κεῖνον [[βιόωνται]], <i>Od</i>. 11.502; [[οἷς]] ἂν [[ἐπίω]], ἧσσόν τις ἐμοὶ πρόσεισι, Thuc. 4.85; ἐάν τις φανερὸς γένηται κλέπτων, τούτοις θάνατός ἐστιν ἡ [[ζημία]], Xen. <i>Mem</i>. 1.2.62; εἴ τις αὐτοῖς [[φίλος]] ἦν τῶν βαρβάρων, τούτων ἀπειχόμεθα, <i>An</i>. 5.5.14, und oft. – Bes. hat das neutr. τί nach einer [[Negation]] eine [[solche]] kollektive, die übrigen [[Geschlechter]] mit einbegreifende [[Bedeutung]], τῶν ἄλλων οὔ πέρ τι πεφυγμένον ἔστ' Ἀφροδίτην [[οὔτε]] [[θεῶν]] οὔτ' ἀνθρώπων, <i>H.h. Ven</i>. 34, vgl. Hermann <i>H.h. Merc</i>. 143, Nichts, kein [[Wesen]], kein [[Geschöpf]].<br><b class="num">b</b> dah. auch ganz [[allgemein]], wie [[unser]] <i>man</i>, für [[ἕκαστος]], [[πᾶς]], <i>[[Jedermann]]</i>, εὖ μέν τις [[δόρυ]] θηξάσθω, <i>Il</i>. 2.382, <i>Jeder wetze wohl seine [[Lanzenspitze]]</i>, oder <i>man wetze seinen [[Speer]]</i>; ἀλλά τις αὐτὸς [[ἴτω]], <i>[[jeder]], man [[komme]] von [[selbst]], Il</i>. 17.254, vgl. 2.388, 390, 16.209, 17.227, 18.429, 19.71; [[ὥρα]] τιν' [[ἤδη]] ποδοῖν κλοπὰν [[ἀρέσθαι]], Soph. <i>Aj</i>. 245; und in [[Prosa]]: Her. 7.237; καί τις οἰκίην τε ἀναπλασάσθω, 8.109; [[ἤδη]] θᾶττόν τις ἰὼν ἐπιδεικνύτω ἑαυτόν, Xen. <i>Cyr</i>. 3.3.61; λεγέτω τις, 6.1.6, und oft; [[ἔνθα]] πολλὴν μὲν σωφροσύνην καταμάθοι ἄν τις, <i>An</i>. 1.9.3, vgl. 5.7.31, und [[öfter]].<br><b class="num">3</b> bei den Attikern steht es aber auch mit [[Beziehung]] auf eine [[bestimmte]] [[Person]], [[welche]] man nur nicht [[nennen]] will, wie auch [[unser]] man [[gebraucht]] wird, dem lat. <i>quidam</i> [[entsprechend]], bes. im sing. auf die [[erste]] oder [[zweite]] [[Person]] [[gehend]], also für ἐγώ, σύ [[gesetzt]], [[wodurch]] die Rede [[häufig]] eine gewisse [[Schärfe]] und [[Bitterkeit]] erhält, φοβεῖται δέ τις Aesch. <i>Ch</i>. 57, ἐκ [[τῶνδε]] ποινάς φημι βουλεύειν τινά <i>Ag</i>. 1196, vgl. <i>Spt</i>. 384, <i>Suppl</i>. 879; [[ποῖ]] τις οὖν φύγῃ, Soph. <i>Aj</i>. 398, dem [[nachher]] [[entspricht]] [[ποῖ]] μολὼν [[μένω]]; vgl. 1117; Ar. <i>Th</i>. 603, <i>Ran</i>. 552, 554; so kann man auch [[erklären]] Xen. <i>An</i>. 1.4.12 οὐκ ἔφασαν [[ἰέναι]], ἂν μή τις αὐτοῖς χρήματα διδῷ, wenn man [[ihnen]] nicht Sold gäbe, d.i. Kyrus; vgl. 2.3.23, 3.4.40, 7.3.5, und [[öfter]].<br><b class="num">4</b> dah. erhält τις und bes. τι, wie das lat. <i>aliquis, aliquid</i>, auch einen besondern [[Nachdruck]], etwas Rechtes, etwas Bedeutendes, κἠγών τις φαίνομαι [[ἦμες]], Theocr. 11.79, auch ich dünke mir ein Mann von [[Bedeutung]] zu sein; ηὔχεις τις [[εἶναι]], Eur. <i>El</i>. 939; so τὶ ποιεῖν Xen. <i>Cyr</i>. 3.3.12, τὶ λέγειν, 1.4.20; σεμνύνεσθαι ὥς τι ὄντες, Plat. <i>Phaedr</i>. 242e, <i>als wären sie [[Etwas]]</i>; ὑπὸ πολλῶν καὶ δοκούντων τι [[εἶναι]], <i>Gorg</i>. 472a; λέγειν τι = <i>[[Recht]] haben, Prot</i>. 339c; σκοπεῖν, μή τι λέγωσιν, <i>Phaedr</i>. 260a; vgl. ἀλλ' [[ἴσως]] [[ἔχει]] τινὰ λόγον, <i>hat [[vielleicht]] einen [[guten]] [[Grund]], Phaed</i>. 72b; τὸ δοκεῖν τινες [[εἶναι]] δι' εὐπορίαν προσειληφότες, Dem. 21.213. – Doch dient es auch zum [[Ausdruck]] der [[Geringschätzung]], dah. nicht [[selten]] [[Bezeichnung]] von [[Sklaven]], Xen. <i>Symp</i>. 1.3, 2.3, 7.7. – Arist. <i>gen. et interit</i>. 1.3 A. und oft stellt τὶς [[γένεσις]] der [[ἁπλῆ]] [[entgegen]], wie γίνεται μέν τι, γίνεται δ' [[ἁπλῶς]] οὔ, <i>ib</i>.; er sagt auch ὅ τις [[ἄνθρωπος]], der einzelne [[Mensch]], das [[Individuum]], <i>categ</i>. 2.2, 5.1.<br><b class="num">5</b> bes. ist auch der absolute [[Gebrauch]] von τί zu [[merken]], <i>in etwas, [[einigermaßen]], etwa, [[irgendwie]]</i>, εἴ τι γυναικῶν ἀλλάων [[περίειμι]] <i>Od</i>. 19.325, und [[öfter]], bes. in der Vrbdg εἴ τι, οὔ τι und μή τι; und so auch Tragg.: μή [[πού]] τι προὔβης [[τῶνδε]] καὶ [[περαιτέρω]], Aesch. <i>Prom</i>. 277; ἦ καὶ [[πατήρ]] τι σφάλλεται βουλευμάτων, <i>Eum</i>. 687; εἴ τι κἄμ' οἰκτείρετε, Soph. <i>Phil</i>. 1031, und oft; Eur.; und in [[Prosa]]: [[οὕτω]] δή, [[οὕτω]] δή τι ἰσχυραί, [[οὕτω]] δή τι [[πολύγονον]] und dgl., Her. 3.12, 108, 4.52; εἴ τι τῷ ἡγεμόνι πιστεύσομεν, Xen. <i>An</i>. 1.3.16; ἂν δ' ἄρα τι τῷ μήκει πονῶν ἄχθῃ, Plat. <i>Soph</i>. 218a; [[οὐδέν]] τι, eben nicht, Xen. <i>An</i>. 7.3.35; [[σχεδόν]] τι, [[beinahe]], μᾶλλόν τι, ἧττόν τι, 4.8.26, 5.8.11.<br><b class="num">6</b> bei Sp. steht τίς für ὅστις; Callim.; Jacobs <i>AP</i> p. 88, 740; aber nie bei den Attikern, vgl. Wolf Dem. <i>Lept</i>. p. 230. – Ἤ τις ἢ οὐδείς, [[verneinend]] mit einem leichten Ausdrucke des Zweifels, [[Keiner]] oder doch so gut wie [[Keiner]], fast [[Niemand]], Her. 3.140 Xen. <i>Cyr</i>. 7.5.45; vgl. Plat. <i>Symp</i>. 199d. – Pleonastisch erscheint τίς in ὁ μέν τις … ὁ δέ τις, Xen. <i>Cyr</i>. 2.3.19, <i>Conv</i>. 2.6; οἱ μέν τινες … οἱ δέ τινες, <i>An</i>. 2.3.15, wo [[Krüger]] [[mehrere]] [[Beispiele]] [[anführt]]; auch Thuc. 2.90; τὸ μέν τι – τὸ δέ τι, [[teils]] … [[teils]], Plat. <i>Ep</i>. IX.358a; und oft in [[οὐδέν]] τι, [[μηδέν]] τι, vgl. Jacobs Ach.Tat. 728. – Wiederholt wird τίς [[zuweilen]] in längern Sätzen, Aesch. <i>Prom</i>. 21 Soph. <i>Tr</i>. 945; vgl. Ar. <i>Ach</i>. 569.
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