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|ptext=(Hom. nur [[einmal]] im imperf., <i>Od</i>. 14.231), bildet seine tempp. von [[τεύχω]], fut. [[τεύξομαι]], aor. [[ἔτυχον]], [[τύχωμι]], <i>Il</i>. 7.243, auch ἐτύχησα, bes. Hom.; perf. [[τετύχηκα]], <i>Il</i>. 17.748, <i>Od</i>. 10.88 (intransit.), Xen. <i>Cyr</i>. 4.1.2 und [[sonst]], auch [[τέτευχα]] (s. [[τεύχω]]), und auch τέτυχα, Lobeck <i>Phryn</i>. 395 (vgl. auch [[ἀποτυγχάνω]]);<br><b class="num">1</b> <i>[[treffen]]</i>; bes. mit [[Schuß]]- oder Wurfwaffen, <i>ein Ziel [[treffen]]</i>, Hom. bes. im aor. I., τὸν δουρὶ τυχήσας, <i>Il</i>. 12.394; ὅν ῥά ποτ' αὐτὸς ὑπὸ στέρνοιο τυχήσας, 4.106; κατὰ ζωστῆρα τυχήσας, 12.189; τὸν θηρητὴρ ἐτύχησε βαλών, 15.581; ἤμβροτες, οὐκ ἔτυχες, 5.287; καὶ βάλ' ἐπαΐσσοντα τυχὼν κατὰ δεξιὸν ὦμον, 5.98, und [[öfter]], auch c. gen. bei leblosen Gegenständen, ὃς δέ κε μηρίνθοιο τύχῃ, 23.857; so Xen. <i>Cyr</i>. 8.3.28, <i>An</i>. 3.2.19; βαλὼν τύχοιμι, Her. 3.35; – in allgemeinerer Bdtg, τύχε γὰρ ψαμάθοιο βαθείης, <i>Il</i>. 5.587; und so [[öfters]] von [[Sachen]], <i>[[erzielen]], [[erlangen]], [[erreichen]], teilhaft [[werden]]</i>, ὄφρα [[τάχιστα]] πομπῆς καὶ νόστοιο τύχῃς <i>Od</i>. 6.290, φιλότητος 15.158, αἰδοῦς 253, 258; μὴ σύ γε [[κεῖθι]] τύχοις, <i>mögest du nicht dahin [[gelangen]]</i>, 12.106; vgl. Hes. <i>Th</i>. 973; προφρόνων μοισᾶν τύχοιμεν, Pind. <i>I</i>. 3.61; λυρᾶν τυγχανέμεν, <i>Ol</i>. 2.47; ἀμφανδὸν [[τυχεῖν]] [[τοπρῶτον]] εὐνᾶς, <i>P</i>. 9.41; σκοποῦ, <i>das Ziel [[treffen]], N</i>. 6.28; τυχόντα στεφάνων, <i>P</i>. 10.26; τοιούτου [[τυχεῖν]] οὐκ ἠξιώθην, Aesch. <i>Prom</i>. 239; [[ἐξόν]] [[σοι]] γάμου [[τυχεῖν]] μεγίστου, 652; εἰ γὰρ τύχοιεν ὧν φρονοῦσι, <i>Spt</i>. 532; σύ γε μὴν πολλῶν πενθητήρων τεύξῃ, 1055, und [[öfter]]; τῆς σῆς δ' οὐκ [[ἐρῶ]] [[τιμῆς]] [[τυχεῖν]], Soph. <i>El</i>. 356; γάμων ἐπαξίων [[τεύξει]], 960, und [[sonst]] oft; [[selbst]] mit doppeltem gen., ὧν δέ [[σου]] [[τυχεῖν]] [[ἐφίεμαι]], <i>Phil</i>. 1299; auch οὐκ ἔστ' ἐπαίνου τοῦτον ἐξ [[ἐμοῦ]] [[τυχεῖν]], <i>Ant</i>. 661; Eur., Ar. und in [[Prosa]]; ταφῆς καλῆς, Plat. <i>Menex</i>. 234c; τοῦ σκοποῦ, <i>Legg</i>. IV.717a, und [[öfter]]; auch übertragen, οὐ [[πάνυ]] ἔτυχες οὗ [[λέγω]], <i>Rep</i>. VII.523b, <i>du trafft es nicht</i>; ἀληθείας, <i>Theaet</i>. 186c; τῶν ἀξίων, Xen. <i>Cyr</i>. 2.2.21, und [[sonst]]; τινὸς παρά τινος, <i>von Einem [[erlangen]]</i>, 1.6.10, 2.3.8; τετευχέναι [[τιμῶν]], DS. 3.9. Auch im schlimmen [[Sinne]], τραυμάτων Aesch. <i>Ag</i>. 840, καιρίας πληγῆς 1265; κακῶν ἐρᾷς [[τυχεῖν]], Eur. <i>Hec</i>. 1280; βίης [[τυχεῖν]], <i>der [[Gewalt]] [[teilhaftig]] [[werden]]</i>, für »[[Gewalt]] [[leiden]]«, Her. 9.108; κρίσεως, Plat. <i>Phaedr</i>. 249a; κατηγορίας [[τυχεῖν]], <i>[[Anklage]] erleiden</i>, wie κυρῆσαι, vgl. Valcken Her. 7.208; ἰσχυρᾶς ὀργῆς παρὰ τοῦ δήμου, Dem. 24.133; δίκης, τιμωρίας, θανάτων πολλῶν, Plat. <i>Gorg</i>. 472d, <i>Legg</i>. VI.762d, IX.869b. – Selten c. accus., Aesch. <i>Ag</i>. 1203, <i>Ch</i>. 700; [[ὅσσα]] μηδεὶς τῶν ἐμῶν τύχοι [[φίλων]], Soph. <i>Phil</i>. 507; αἰτεῖς ἃ [[τεύξει]], <i>O.C</i>. 1108; und τινός τι, 1170; vgl. Plat. οἶμαί [[σου]] τεύξεσθαι μεθεῖναί με, <i>Phil</i>. 50d; τὶ παρά τινος, Luc. <i>Tox</i>. 50.<br><b class="num">2</b> [[absolut]], <i>das Ziel [[treffen]], seinen [[Zweck]] [[erreichen]], [[Glück]] haben</i> (einen [[Treffer]] haben), οὐκ ἐτύχησεν ἑλίξας, <i>Il</i>. 23.466, <i>er hatte nicht [[Glück]], es gelang ihm nicht</i>; μήτε τυχήσω, wie ἢν δὲ τυχήσω, Agath. 2, 8 (V.278, 294). – Bes. bei [[sagen]], <i>das [[Rechte]] [[treffen]], [[Recht]] haben</i>, τί δ' ἂν εἰπόντες τύχοιμεν ἄν, Aesch. <i>Ch</i>. 412, vgl. <i>Ag</i>. 1206; und [[ähnlich]] Soph. <i>Phil</i>. 223, [[ποίας]] πάτρας [[ὑμᾶς]] ἂν ἢ γένους ποτὲ τύχοιμ' ἂν [[εἰπών]], vgl. 615; <span class="ggns">Gegensatz</span> von [[διαμαρτάνω]], Plat. <i>Theaet</i>. 178a; [[ὀρθῶς]] πράττειν καὶ τυγχάνειν, <i> | |ptext=(Hom. nur [[einmal]] im imperf., <i>Od</i>. 14.231), bildet seine tempp. von [[τεύχω]], fut. [[τεύξομαι]], aor. [[ἔτυχον]], [[τύχωμι]], <i>Il</i>. 7.243, auch ἐτύχησα, bes. Hom.; perf. [[τετύχηκα]], <i>Il</i>. 17.748, <i>Od</i>. 10.88 (intransit.), Xen. <i>Cyr</i>. 4.1.2 und [[sonst]], auch [[τέτευχα]] (s. [[τεύχω]]), und auch τέτυχα, Lobeck <i>Phryn</i>. 395 (vgl. auch [[ἀποτυγχάνω]]);<br><b class="num">1</b> <i>[[treffen]]</i>; bes. mit [[Schuß]]- oder Wurfwaffen, <i>ein Ziel [[treffen]]</i>, Hom. bes. im aor. I., τὸν δουρὶ τυχήσας, <i>Il</i>. 12.394; ὅν ῥά ποτ' αὐτὸς ὑπὸ στέρνοιο τυχήσας, 4.106; κατὰ ζωστῆρα τυχήσας, 12.189; τὸν θηρητὴρ ἐτύχησε βαλών, 15.581; ἤμβροτες, οὐκ ἔτυχες, 5.287; καὶ βάλ' ἐπαΐσσοντα τυχὼν κατὰ δεξιὸν ὦμον, 5.98, und [[öfter]], auch c. gen. bei leblosen Gegenständen, ὃς δέ κε μηρίνθοιο τύχῃ, 23.857; so Xen. <i>Cyr</i>. 8.3.28, <i>An</i>. 3.2.19; βαλὼν τύχοιμι, Her. 3.35; – in allgemeinerer Bdtg, τύχε γὰρ ψαμάθοιο βαθείης, <i>Il</i>. 5.587; und so [[öfters]] von [[Sachen]], <i>[[erzielen]], [[erlangen]], [[erreichen]], teilhaft [[werden]]</i>, ὄφρα [[τάχιστα]] πομπῆς καὶ νόστοιο τύχῃς <i>Od</i>. 6.290, φιλότητος 15.158, αἰδοῦς 253, 258; μὴ σύ γε [[κεῖθι]] τύχοις, <i>mögest du nicht dahin [[gelangen]]</i>, 12.106; vgl. Hes. <i>Th</i>. 973; προφρόνων μοισᾶν τύχοιμεν, Pind. <i>I</i>. 3.61; λυρᾶν τυγχανέμεν, <i>Ol</i>. 2.47; ἀμφανδὸν [[τυχεῖν]] [[τοπρῶτον]] εὐνᾶς, <i>P</i>. 9.41; σκοποῦ, <i>das Ziel [[treffen]], N</i>. 6.28; τυχόντα στεφάνων, <i>P</i>. 10.26; τοιούτου [[τυχεῖν]] οὐκ ἠξιώθην, Aesch. <i>Prom</i>. 239; [[ἐξόν]] [[σοι]] γάμου [[τυχεῖν]] μεγίστου, 652; εἰ γὰρ τύχοιεν ὧν φρονοῦσι, <i>Spt</i>. 532; σύ γε μὴν πολλῶν πενθητήρων τεύξῃ, 1055, und [[öfter]]; τῆς σῆς δ' οὐκ [[ἐρῶ]] [[τιμῆς]] [[τυχεῖν]], Soph. <i>El</i>. 356; γάμων ἐπαξίων [[τεύξει]], 960, und [[sonst]] oft; [[selbst]] mit doppeltem gen., ὧν δέ [[σου]] [[τυχεῖν]] [[ἐφίεμαι]], <i>Phil</i>. 1299; auch οὐκ ἔστ' ἐπαίνου τοῦτον ἐξ [[ἐμοῦ]] [[τυχεῖν]], <i>Ant</i>. 661; Eur., Ar. und in [[Prosa]]; ταφῆς καλῆς, Plat. <i>Menex</i>. 234c; τοῦ σκοποῦ, <i>Legg</i>. IV.717a, und [[öfter]]; auch übertragen, οὐ [[πάνυ]] ἔτυχες οὗ [[λέγω]], <i>Rep</i>. VII.523b, <i>du trafft es nicht</i>; ἀληθείας, <i>Theaet</i>. 186c; τῶν ἀξίων, Xen. <i>Cyr</i>. 2.2.21, und [[sonst]]; τινὸς παρά τινος, <i>von Einem [[erlangen]]</i>, 1.6.10, 2.3.8; τετευχέναι [[τιμῶν]], DS. 3.9. Auch im schlimmen [[Sinne]], τραυμάτων Aesch. <i>Ag</i>. 840, καιρίας πληγῆς 1265; κακῶν ἐρᾷς [[τυχεῖν]], Eur. <i>Hec</i>. 1280; βίης [[τυχεῖν]], <i>der [[Gewalt]] [[teilhaftig]] [[werden]]</i>, für »[[Gewalt]] [[leiden]]«, Her. 9.108; κρίσεως, Plat. <i>Phaedr</i>. 249a; κατηγορίας [[τυχεῖν]], <i>[[Anklage]] erleiden</i>, wie κυρῆσαι, vgl. Valcken Her. 7.208; ἰσχυρᾶς ὀργῆς παρὰ τοῦ δήμου, Dem. 24.133; δίκης, τιμωρίας, θανάτων πολλῶν, Plat. <i>Gorg</i>. 472d, <i>Legg</i>. VI.762d, IX.869b. – Selten c. accus., Aesch. <i>Ag</i>. 1203, <i>Ch</i>. 700; [[ὅσσα]] μηδεὶς τῶν ἐμῶν τύχοι [[φίλων]], Soph. <i>Phil</i>. 507; αἰτεῖς ἃ [[τεύξει]], <i>O.C</i>. 1108; und τινός τι, 1170; vgl. Plat. οἶμαί [[σου]] τεύξεσθαι μεθεῖναί με, <i>Phil</i>. 50d; τὶ παρά τινος, Luc. <i>Tox</i>. 50.<br><b class="num">2</b> [[absolut]], <i>das Ziel [[treffen]], seinen [[Zweck]] [[erreichen]], [[Glück]] haben</i> (einen [[Treffer]] haben), οὐκ ἐτύχησεν ἑλίξας, <i>Il</i>. 23.466, <i>er hatte nicht [[Glück]], es gelang ihm nicht</i>; μήτε τυχήσω, wie ἢν δὲ τυχήσω, Agath. 2, 8 (V.278, 294). – Bes. bei [[sagen]], <i>das [[Rechte]] [[treffen]], [[Recht]] haben</i>, τί δ' ἂν εἰπόντες τύχοιμεν ἄν, Aesch. <i>Ch</i>. 412, vgl. <i>Ag</i>. 1206; und [[ähnlich]] Soph. <i>Phil</i>. 223, [[ποίας]] πάτρας [[ὑμᾶς]] ἂν ἢ γένους ποτὲ τύχοιμ' ἂν [[εἰπών]], vgl. 615; <span class="ggns">Gegensatz</span> von [[διαμαρτάνω]], Plat. <i>Theaet</i>. 178a; [[ὀρθῶς]] πράττειν καὶ τυγχάνειν, <i>Euthyd</i>. 280a. – <i>zufälligantreffen, [[begegnen]]</i>, δῶρα τά οἱ [[ξεῖνος]] Λακεδαίμονι δῶκε τυχήσας, <i>Od</i>. 21.13; Hes. <i>Th</i>. 973; vgl. <i>Od</i>. 14.334, 19.291; οἵων [[ὑμῶν]] τεύξονται, Lys. 18.23, <i>was für [[Leute]] sie in euch [[finden]] [[werden]]</i>, wie Xen. ἐρωτᾶτε αὐτούς, ὁποίων τινῶν ἡμῶν [[ἔτυχον]], <i>An</i>. 5.5.15; ἦ γὰρ παρ' [[ἄλλου]] μ' ἔλαβες οὐδ' αὐτὸς [[τυχών]], Soph. <i>O.R</i>. 1039. Daher ὁ [[τυχών]], <i>der Einem [[gerade]] in den Wurf kommt, der [[Erste]] der [[Beste]]</i>, Plat. <i>Rep</i>. VIII.539d und [[sonst]]; οἱ τυχόντες, <i>alltägliche [[Menschen]], [[gemeine]], [[geringe]] [[Leute]]</i>, Dem. 19.237; vgl. Xen. <i>Mem</i>. 3.9.10; τὰ τυχόντα, <i>das [[Erste]] das [[Beste]], alltägliche, [[gemeine]] [[Dinge]]</i>; μικραὶ καὶ αἱ τυχοῦσαι πράξεις, Pol. 1.25.6; τοῦ τυχόντος, <i>um jeden beliebigen [[Preis]]</i>, bes. bei Sp. [[häufig]], wie Luc. und Plut. – So kann man [[erklären]] die bei Plat. und Folgdn nicht seltene [[Verbindung]] οἳ [[ὅ τι]] ἂν τύχωσι, τοῦτο λέγουσι, Plat. <i>Prot</i>. 353a, <i>was sie [[gerade]] [[treffen]], was [[ihnen]] nur in den Sinn kommt</i>; ὥστε [[ἴσως]] [[ὅ τι]] ἂν [[τύχω]] τοῦτο [[πείσομαι]], <i>ich werde bald [[alles]] Mögliche [[leiden]] [[müssen]], Gorg</i>. 522c; [[ὅ τι]] ἂν τύχωσι τοῦτο πράττειν, <i>Symp</i>. 181b, vgl. <i>Rep</i>. VIII.561d; ὅτι ἂν τύχωσι, τοῦτο πράξουσι, <i>Crito</i> 45d, d.i. <i>sie [[werden]] ganz dem [[Zufall]] [[überlassen]] sein</i>. Vgl. noch [[δεῖξαι]] [[αὐτῷ]], ἂν μὲν τύχῃ, ἐκείνου εἰκόνα, ἂν δὲ τύχῃ, γυναικός, <i>Crat</i>. 430e.<br><b class="num">3 intr</b>., <i>sich [[treffen]], sich [[zufällig]] ereignen, [[zufällig]] da sein</i>, εἴπερ [[τύχῃσι]] [[μάλα]] [[σχεδόν]], <i>wenn sie [[zufällig]] ganz nahe ist, Il</i>. 11.116; [[πέτρη]] [[ἠλίβατος]] τετύχηκε διαμπερὲς [[ἀμφοτέρωθεν]], <i>Od</i>. 10.88, <i>der Fels war von [[Natur]] [[gerade]] da</i>; πεδίοιο διαπρύσιον τετυχηκώς, <i>Il</i>. 17.748; εἰ δ' αὖθ', ὃ μὴ γένοιτο, συμφορὰ τύχοι, Aesch. <i>Spt</i>. 5; <i>Ch</i>. 211; τινί, <i>Einem [[widerfahren]]</i>, vom [[Unglück]], θέλοιμ' ἂν ὡς πλείστοισι πημονὰς [[τυχεῖν]], <i>Prom</i>. 346; <i>Pers</i>. 692, <i>Ag</i>. 626; οἱ ' αὐτοῖς τύχοι, Soph. <i>Phil</i>. 275; [[ὅτῳ]] κατ' [[ἦμαρ]] τυγχάνει μηδὲν [[κακόν]], Eur. <i>Hec</i>. 628. Dah. τὰ τυγχάνοντα = <i>[[Zufälle]]</i>, Eur. <i>Ion</i> 1511. Vgl. noch δισσὰς φωνὰς τὴν μὲν δικαίαν, τὴν δ' ὅπως ἐτύγχανεν, <i>wie es [[gerade]] sich traf</i>, Eur. <i>Hipp</i>. 929. – Dah. von [[Handlungen]], [[Unternehmungen]], <i>[[gelingen]], [[glücken]]</i>, καί [[μοι]] [[μάλα]] τύγχανε [[πολλά]], <i>Od</i>. 14.231; <i>zu [[Teil]] [[werden]]</i>, bes. <i>[[durchs]] Los [[zufallen]]</i>, οὕνεκά [[μοι]] τύχε [[πολλά]], <i>weil mir von der [[Beute]] Vieles [[durchs]] Los zufiel, Il</i>. 11.684. – Oft bei den Folgdn; ὡς ἔτυχεν, <i>wie es eben ging, wie es sich traf</i>, ἂν [[οὕτω]] τύχῃ, <i>[[vielleicht]]</i>, Plat. <i>Alc. II</i>, 150c, ᾗ ἔτυχε, [[ὅπου]] ἔτυχε, <i>wo sich's [[gerade]] traf, an [[jeder]] beliebigen [[Stelle]]</i>; εἰώθει γάρ, [[ὁπότε]] τύχοι, <i>wenn es sich so traf, [[zuweilen]]</i>, παίζειν [[μου]] εἰς τὰς τρίχας, <i>Phaed</i>. 89b; τὸ [[ὅπῃ]] ἔτυχεν, <i>der blinde [[Zufall]], Phil</i>. 28d; περιτρέχων [[ὅπῃ]] τύχοιμι, <i>Symp</i>. 173a; ἐφιστάμενοι [[ὅπου]] τύχοιεν, Xen. <i>An</i>. 5.4.34; Sp. – Daher wird es bei den Attikern [[häufig]] so mit dem [[Partizip]] eines andern Zeitwortes [[verbunden]], daß der im [[Partizip]] enthaltene [[Hauptbegriff]] nur die Nebenbdtg des Ungefähren, Zufälligen erhält, das [[Partizip]] dah. im Deutschen mit dem [[Verbum]] [[finit]]. und [[τυγχάνω]] durch ein [[Adverb]], <i>[[zufällig]], [[gerade]], von [[ungefähr]]</i>, [[übersetzt]] [[werden]] muß; εἰ δὲ [[τυγχάνω]] τοῖς κυρίοισι λέγων, Aesch. <i>Ch</i>. 678; [[ὅτε]] [[δεόμενος]] τύχοι, <i>Eum</i>. 696; [[κἀν]] δόμοισι τυγχάνει τὰ νῦν [[παρών]]; Soph. <i>O.R</i>. 757; νῦν γὰρ εὐτυχοῦσα τυγχάνεις, <i>El</i>. 962, und [[öfter]]; [[wobei]] aber oft für uns das [[Zufällige]] so zurücktritt, daß diese [[Verbindung]] eine bloße [[Umschreibung]] zu sein scheint, vgl. 576, <i>O.C</i>. 566; Eur. <i>Hec</i>. 963, <i>Or</i>. 864 und [[sonst]]; Ar. und in [[Prosa]] [[überall]]: ὡμολογηκὼς τυγχάνεις, <i>du hast [[zugegeben]]</i>, Plat. <i>Theaet</i>. 165e; ἆρ' οὖν ὁ σοφιστὴς τυγχάνει ὢν ἔμπορός τις, ist er etwa, <i>Prot</i>. 313c; bestimmter heißt es κατὰ θεὸν γάρ τινα [[ἔτυχον]] καθήμενος [[ἐνταῦθα]], <i>Euthyd</i>. 272e, <i>durch eine göttliche [[Fügung]] traf es sich, daß ich da saß</i>; ἔτυχεν ἑστηκώς Xen. <i>An</i>. 1.5.8, und [[sonst]] [[überall]]. – Zuweilen ist das [[Partizip]] aus dem [[Zusammenhang]] zu [[ergänzen]] (bes. in [[Relativ]]- und Bedingungssätzen), ἀνεπαύοντο [[ὅπου]] ἐτύγχανον [[ἕκαστος]], ''[[sc.]]'' ἀναπαυόμενοι, <i>sie ruhten aus, ein Jeder wo ers traf</i>; ὡς ἕκαστοι ἐτύγχανον, ηὐλίζοντο, <i>sie lagerten sich, ein Jeder wo sichs [[gerade]] traf</i>, Xen. <i>An</i>. 3.1.3, 2.2.17; ὃν Ἀθηναῖοι θήσουσιν ὅταν τύχωσιν, <i>Mem</i>. 3.2.11. – So steht [[τυγχάνω]] ὤν, <i>ich bin [[gerade]], von [[ungefähr]]</i>, Hes. frg. 22.13, Ar. <i>Plut</i>. 35, und [[τυγχάνω]] [[allein]] für <i>[[zufällig]], [[gerade]] sein</i>, vgl. Schaefer <i>Bos. ellips</i>. p. 785 und Lobeck <i>Phryn</i>. 277; Phryn. verwirft diese [[Auslassung]] des Partizips als [[unattisch]], vgl. Porson Eur. <i>Hec</i>. 788; σωτὴρ γένοιτο [[Ζεύς|Ζεὺς]] ἐπ' ἀσπίδος [[τυχών]], Aesch. <i>Spt</i>. 502; ἀνὴρ γὰρ [[ἔνδον]] [[ἄρτι]] τυγχάνει, Soph. <i>Aj</i>. 9, wie νῦν δ' ἀγροῖσι τυγχάνεις, <i>El</i>. 305; und mit adj. auch in [[Prosa]], εἰ σὺ τυγχάνεις [[ἐπιστήμων]] τούτων, Plat. <i>Prot</i>. 313e; [[εἰ δέ]] τι τυγχάνει ἀηδὲς καὶ ὠφέλιμον, <i>Gorg</i>. 502b; <i>Phaedr</i>. 263d, und [[sonst]]. | ||
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